अमेजन की वेब सीरिज मिर्ज़ापुर एक बार फिर चर्चा में है इसका सीज़न-2 का ट्रेलर भी आ गया है ..सीजन 1 में पंकज त्रिपाठी, अली फजल, दिव्येंदु शर्मा, श्वेता त्रिपाठी, विक्रांत मैसी के दमदार अभिनय ने काफी लोगों को आकर्षित किया लेकिन क्या वजह है कि अपराध या माफिया की जब भी बात होती है पूर्वांचल सबसे हावी रहा है वजह है यहाँ से जुड़ा माफियों का इतिहास और युवा पीढ़ी का बाहुबलियों के प्रति बढ़ता झुकाव… जो लोगों को हमेशा अपनी ओर खींचता है इसकी एक वजह और भी है राजनीति में बढ़ता बहुबलियों का प्रभाव और रसूख भी इन माफियाओं के पनपने और उठने में मदद करता है ..यूँ ही नहीं छोटे से गाँव में रहने वाला युवा पढ़ाई- लिखाई छोड़कर अपराध की ओर बढ़ जाता है उसके अंदर का विरोध और बाहुबलियों का बढ़ता टशन इनके अंदर घर कर लेता है और युवा बिना सोचे – समझे धीरे –धीरे अपराध की दुनिया में प्रवेश कर जाता है
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से कई ऐसे बाहुबली निकलकर आए, जिनके नाम का सिक्का लंबे समय तक चलता रहा कई बाहुबली सत्ता से सीधे तौर पर जुड़े और ताकतवर बनकर उभरे जिन्होंने पूर्वांचल में पुलिस की नाक में भी दम कर के रख दिया लोग उनके नाम से भी थर्राते थे …जुर्म की दुनिया हो या राजनीति के गलियारे या फिर कोई बड़ा ठेके का कारोबार, हर जगह बाहुबली माफियाओं दखल रहा है. पूर्वांचल के कुछ ऐसे ही कुख्यात माफियाओं और गैंगस्टरस जो कभी अपराध की दुनिया के बादशाह कहे जाते थे हालांकि उनका अन्त पुलिस की गोली से ही हुआ लेकिन जब तक जिये लोगों की रूह काँपती थी ऐसे बाहुबलियों से …
श्रीप्रकाश शुक्ला
श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध की दुनिया का वो नाम जो वीरेंद्र शाही की हत्या के बाद चर्चा में आया जिसकी जड़े भी पूर्वांचल के गोरखपुर से जुड़ी थी गोरखपुर के मामखोर गांव में जन्म हुआ जुर्म की दुनिया के इस बादशाह का….पिता पेशे से एक साधारण शिक्षक रहे और बेटा था गांव का मशहूर पहलवान…1993 का वो साल जिसमें श्रीप्रकाश शुक्ला ने जुर्म की दुनिया में पहला कदम रखा । उसने अपनी बहन को देखकर सीटी बजाने वाले राकेश तिवारी की हत्या कर दी …20 साल का श्रीप्रकाश जिसके खून में लोगों के लिये नफरत और उबाल था और इसी हत्या के साथ वो जुर्म की दुनिया में आगे बढ़ता चला गया.. गांव में मर्डर करने के बाद श्रीप्रकाश देश छोड़कर बैंकॉक भाग गया. जब वह लौटा तो एक शिक्षक बाप का सीधा साधा बेटा नहीं बलिक् अपराध की दुनिया में उभरता वो नाम था जिससे लोग डरते थे उसने अपना रसूख बढ़ाने के लिये बिहार के सूरजभान गैंग को ज्वायन कर लिया । शुक्ला अब जुर्म की दुनिया में नाम कमा रहा था. तभी उसने अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिये हरि शंकर तिवारी के इशारे पर 1997 में राजनेता और कुख्यात अपराधी वीरेन्द्र शाही की हत्या कर दी और इसी के साथ अपराध जगत में उसकी तूती बोलने लगी … एक-एक करके न जाने कितनी हत्या, अपहरण, अवैध वसूली और धमकी के मामले श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम लिखे जाने लगे । उसका नाम उसकी पहचान से भी बड़ा बन गया था । पुलिस के पास उसका नाम पता तो था पर नहीं था तो उसकी तस्वीर जिससे उसे पहचाना जा सके … पूरब से लेकर पश्चिम तक रेलवे के ठेके पर एकछत्र राज, व्यापारियों से उगाही, किडनैपिंग, कत्ल, डकैती जो उसे बाहुबली बनने का तमगा देते जा रहे थे अब वो आम आदमी नहीं थी एक ऐसा माफिया जो पुलिस की निगाह में भी खटक रहा था उसके रास्ते में जो भी आया उसने उसे मारने में जरा भी देरी नहीं की। पूरा पूर्वांचल उससे खौफज़दा था लिहाजा लोग तो लोग पुलिस भी उससे डरती थी लेकिन उसका अंत वही था जो हर अपराधी का होता है …उसे गाजियाबाद में एसटीएफ ने मार गिराया और इसी के साथ वो जुर्म की दुनिया का इतिहास बन गया.
मुख्तार अंसारी
जरायन की दुनिया का वो बाहुबली जो राजनीति में आने के बाद पूर्वांचल का रॉबिनहुड बन गया लेकिन इस रॉबिनहुड की कहानी भी जुर्म की दुनिया से ही शुरू होती है । उस बाहुबली नेता का नाम है मुख्तार अंसारी…. प्रदेश के माफिया नेताओं में मुख्तार अंसारी का नाम पहले पायदान पर है। यूपी के गाजीपुर जिले में जन्मा मुखातार किशोरवस्था से ही निडर और दबंग था और छात्र राजनीति में भी सक्रीय था । विकास को लेकर पूर्वांचल में जब कई योजनाओं ने जोर पकड़ा तब जमीन कब्जा करने की राजनीति शुरू हुयी जिसको लेकर दो गैंग बन गए । मुख्तार अंसारी के सामने साहिब सिंह गैंग के ब्रजेश सिंह ने अपना अलग गैंग बनाया और इसी के साथ ब्रजेश सिंह के साथ मुख्तार की दुश्मनी हो गई । छात्र राजनीति के बाद ज़मीनी कारोबार और ठेकों को पाने की लड़ाई और उस पर अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिये इन्होनें अपराध की दुनिया में कदम रखा । पूर्वांचल के कई जगहों जैसे मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम की तूती बोलने लगी …..और इसी के साथ 2002 में दोनों गैंग पूर्वांचल के सबसे बड़े माफिया गिरोह बन गए । एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया जिसमें मुख्तार के तीन लोग मारे गए और ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया ..उसके मारे जाने की अफवाह थी. इस घटना के बाद मुख्तार अंसारी पूर्वांचल के बाहुबली के रूप में शुमार होने लगा और इसके बाद उसने राजनीति में कदम रखा और चौथी बार विधायक बना…
मुन्ना बजरंगी
यूपी के कुख्यात माफिया में प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी भी जुर्म की दुनिया का वो नाम जिसकी दहशत ने लोगों को हिला कर रख दिया था । उसका जन्म 1967 में यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ । बचपन से ही उसका झुकाव जुर्म की दुनिया की तरफ था लिहाजा उसने 5वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और जैसे ही वो किशोरावस्था में आया उसने जुर्म की दुनिया में अपना पहला कदम रखा । बचपन से ही वह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था … उसे हथियार रखने का बड़ा शौक था। उसे जौनपुर में स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिला हुआ था । 1984 में मुन्ना तब चर्चा में आया जब उसने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या तक कर दी। फिर जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह का कत्ल कर वो लोगों की आँखों में चढ़ गया और 90 के दशक में उसे साथ मिला बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी का जिसके बाद मुन्ना उसके गैंग में शामिल हो गया। वो सरकारी ठेकों को हथियाने के लिये अपना प्रभाव बढ़ाने लगा लेकिन उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बना बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ….अपने रास्ते के काँटे को हटाने के लिये मुन्ना ने मुख्तार के कहने पर 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय को गोलियों से भून डाला जिससे पूरा पूर्वांचल दहशत में आ गया हालांकि पिछले कई साल से वह जेल में बंद था और जब उसे कोर्ट में पेशी के लिए झांसी से बागपत लाया जा रहा था तो जेल के अंदर ही उसकी गोली मार कर हत्या कर दी गई।
सुभाष ठाकुर
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के बनने में अगर सबसे बड़ा नाम है तो वो नाम है सुभाष ठाकुर का । ऐसा कहा जाता है कि सुभाष एक ऐसा गैंगस्टर है, जिसके गैंग में रहकर ही दाऊद इब्राहिम ने जुर्म का सबक सीखा था। उसके बाद ही दाऊद अंडरवर्ल्ड डॉन बना। बाद में उसकी दाऊद से दुश्मनी हो गई। ठाकुर ने बनारस कोर्ट में याचिका दायर कर दाऊद से खुद को खतरा बताते हुए बुलेट प्रूफ जैकेट और सिक्यूरिटी की मांग की थी हालांकि उसके खिलाफ हत्या, फिरौती, रंगदारी, और लूट जैसे कई संगीन मुकदमें चल रहे हैं। उसे पूर्वांचल का कुख्यात गैंगस्टर माना जाता है। हाल के दिनों में उसे डॉन छोटा राजन का साथ मिल गया है। ऐसा कहा जाता है कि अब ये दोनों मिलकर भारत के मोस्ट वॉन्टेड डॉन दाऊद इब्राहिम के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। बताया जाता है कि माफिया सरगना सुभाष ठाकुर जेल से ही अपना गैंग ऑपरेट कर रहा है। उसे यूपी की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल से मुंबई जेल शिफ्ट कर दिया गया हालांकि वह मुंबई नहीं जाना चाहता था। सुभाष पिछले कई सालों से यूपी की जेल में बंद था।
हरिशंकर तिवारी
पूर्वांचल में राजनीति का अपराधीकरण गोरखपुर से शुरू करने का श्रेय जाता है तो वह है हरिशंकर तिवारी …. एक ज़माने में पूर्वांचल की राजनीति में तिवारी की तूती बोलती थी। रेलवे से लेकर पीडब्लूडी की ठेकेदारी में हरिशंकर तिवारी का ही कब्ज़ा था। उसके दम पर तिवारी ने राजनीति में भी अपना रसूख बढ़ा लिया वो जेल में रहकर चुनाव जीतने वाले वह पहले नेता था जो ब्राह्मण बिरादरी का भी नेता माना जाने लगा ।
बृजेश सिंह
वाराणसी में जन्म हुआ बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार का जिसके पिता रविन्द्र सिंह इलाके के रसूखदार लोगों में से एक थे। बृजेश सिंह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज़ था यही वजह थी कि 1984 में इंटर की परीक्षा में उसने अच्छे अंक हासिल किए थे। उसके बाद बृजेश ने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढाई की। वहां भी वह मेधावी छात्रों की श्रेणी में आता था। 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा गांव में बृजेश के पिता रविन्द्र सिंह की हत्या कर दी गई। उनके सियासी विरोधी हरिहर सिंह और पांचू सिंह ने साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या को अंजाम दिया और इसी के साथ पिता की मौत ने बृजेश सिंह के मन में बदले की भावना को जन्म दे दिया। राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई और बदले की भावना के चलते होनहार बृजेश ने जाने अनजाने में अपराध की दुनिया में अपना कदम बढ़ा दिया और अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिये उसने अपने पिता के पांच हत्यारों को मौत की नींद सुला दिया लेकिन जब उसका सामना मुख्तार अंसारी से हुआ तो उसकी दुश्मनी उसे काफी महंगी पड़ी। जिसका खामियाज़ा भुगता उसके चचेरे भाई सतीश सिंह ने जिसकी दिन दहाड़े हत्या कर दी गई और इस वारदात ने पूरे पूर्वांचल को दहला कर रख दिया ।