छोटकी दिवाली के रात घर के बाहर यम के पूजा करेके मान्यता ह। छोटकी दिवाली के नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी आउर रूप चौदस के नाम से भी जानल जाला। लेकिन सबसे खास ह छोटकी दीपावली के रात घर के बाहर दीपक जलाके रखल। त आईं जानल जाव कि आखिर काहें दिवाली जईसन शुभ मौका पर मृत्यु के देवता यमराज का पूजा कईल जाला आउर काहें यमराज के नाम के दीया जलावल जाला।
आख़िर काहें कईल जाला यम के पूजा?
इ दीप जलवले से जुड़ल दुगो पौराणिक मान्यता प्रचलित बा :
पहिला – दिवाली अमावस्या के रात के पड़ेला। अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज अउर पितर देवता होलन। अमावस्या के रात चांद नहीं निकलेला. मान्यता बा कि श्राद्ध महीना में आवे वाला पितर एही अमावस्या के चंद्रलोक जालन। वह चांद ना निकलले के वजह से भटके नाहीं, एहीसे एगो बड़हन दीपक जलावल जाला।
दूसरा – एक अउर प्रचलित कथा के अनुसार रंति देव नाम से एक धर्मात्मा राजा रहलन। उ कबो कवनो पाप नाहीं कईले रहलन, लेकिन फिर भी मृत्यु के दौरान ओनके नरक लोक ले जाए खातिर यमदूत अईलें। उनके देख के राजा बोललन- हम कबो कवनो पाप नाहीं कईनी, फिर भी आप हमके लेवे काहें आ गईनी ह सभे ? आज अईले के मतलब हमके नरक जायेके होई। इ सब बात सुनके यमदूत ने जबाब देहलन कि ‘हे राजन! एक बार आपके द्वार से एगो ब्राह्मण भूखा लौट गईल रहे, इ ओही पाप कर्म के फल ह’।
इ बात के सुन राजा एक साल के समय मंगने अउर ऋषि लोगन के पास अपन इ समस्या के लेके पहुंचलन। तब ऋषि लोग उनके कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी के व्रत रखे के अउर ब्राह्मण के भोजन कराके माफी मांगेके कहल। साल भर बाद यमदूत राजा के फिर लेवे अईने, एह बार उनके नरक के बजाय विष्णु लोक ले गईलें। तब से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में दीप जलावे के परंपरा शुरू भईल, ताकी अनजाने में भईल पाप के भी क्षमादान मिल सके।
यम के नाम, दीया आउर दीपदान के शुभ मुहूर्त
दीपदान के मुहूर्त : 06 नवंबर 2018 के शाम 06 बजे से शाम 07 बजे तक।
नरक चतुर्दशी के दिन कईसे जलाई दीया?
कार्तिक चतुर्दशी के रात यम के दीया जलावल जाला. एह दिन यम के नाम के दीया कुछ एह तरीका से जलावेके चाहिं:
– घर के सबसे बड़हन सदस्य के यम के नाम के एगो बड़हन दीया जलाव के चाहिं
– एकरे बाद एह दीया का पूरा घर में घुमावेक चाहीं.
– अब घर से बाहर जाके दूर एह दीया के रख आईं.
– घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें अउर एह दीपक के नाही देखी.