भले ही हमनी के इक्कीसवीं सदी के आधुनिक दौर में जी रहल बानी जा, बाकी अंधविश्वास के नाम पर हजारों लोग के सोच आज भी पुरान बा। इहे कड़ी में हर साल दिवाली के त्योहार अवते ही अपार धन प्राप्ति खातीर कई अंधविश्वासी लोग श्री विष्णुप्रिया देवी श्रीलक्ष्मी के सवारी समझे जाए वाला उल्लू के बलि देवे के फिराक में लाग जालन।
इ अंधविश्वासी, धन-पिपासु लोग कर्ज निकाल के भी उल्लु खातीर मुंह मांगी रकम देवे के तैयार रहेलन। लोग के इहे प्रवृत्ति के फायदा उठाके कालाबाजारी करे वाला दिवाली के करीब दो-तीन महीना पहिले से बेजुबान उल्लु के पकड़े खातीर सक्रीय हो जालन।
हर साल के जइसन इ साल भी दिवाली अवते ही एक बार फिर से इ बेजुबान प्राणी के कत्लेआम करे के गुपचुप तैयारी चल रहल बा। अइसे त तांत्रिक पूजा खातीर साल भर विशेष अवसर पर इ उल्लुअन के बलि के खबर मिलत रहेला।
जहवां एक ओर लोग मुंहमांगी रकम पर उल्लुअन के कालाबजारी करेलन ओहिजा एक ओर लोग धन के लोभ में इ दकियानुसी बात पर यकीन करके उल्लुअन के लाखन रुपया में खरीद के बली चढ़ावेलन।
जानकार लोग कहे ले कि उल्लू के बलि दिहला से अपार लक्ष्मी के प्राप्ति होला आउर इहे झूठ आउर अंधविश्वास पर इ गोरखधंधा फल फूल रहल बा। खुद के तांत्रिक कहेवाला लोग के लालच के उकसावेलन और फिर उनकरा से इ गलत काम करवावेलन। उल्लु पकड़े वाला से भी इनकर सांठ गांठ होला। इ उन लोगन से भी पइसा अइठ लेलन।