गाँव में दिवाली के दिन घर के न केवल सजावल जाला बल्कि पाम्परिक रीति रिवाजों के भी विधिवत निभावल जाला। उत्तर प्रदेश के हर गाँव में दीवाली के समय घर के सफाई करके सजावल जाला। धनतरेस के दिन नया बर्तन खरीद के लक्ष्मी-गणेश के पूजा करेके रिवाज बा। दिवाली के दूसरका दिन भोर में घर से दरिद्र के निकालले के परम्परा ह जवन हर महिला पूरा करेलीन। एके दरिद्र-खेदल भी कहल जाला अउर रात में काजल बना करके सुबह शौक से लगावल जाला। कुछ गाँव में दिवाली के कुछ दिन बाद तक पीड़िया मनवले के भी परम्परा ह जवने में लड़की और महिला व्रत रखके भगवान शिव के पूजा करेलीन। दिवाली के दूसरका दिन गोर्वधन पूजा होला। अन्नकूट के पूजा के भी चलन बा। बिहार में दिवाली धनतेरस से शुरू होला अउर भइया दूज तक मनावल जाला। दिवाली के समय घर के साफ करके बाहर रंगोली बनवले के रिवाज ह। बिहार के कुछ गाँव में दिवाली के दिन छोट बच्ची कुलिया-चुकिया भरेलीन जवने से मिट्टी के बर्तन में मिठाई भरके लोगों के खिलावल जाला। एकरे बाद चित्रगुप्त के पूजा होला। गोवर्धन पूजा के भी परम्परा होला। साथ ही बिहार के कुछ गाँव में दिवाली के दिन काली-पूजन के भी चलन देखल गईल बा।
गुजरात में इ त्यौहार ग्यारस से शुरू होला। धनतेरस इहां दो दिन तक मनावल जाला। दूसरका दिन गाँव में वाघ बरस मनावल जाला जवने में लोग अपनी घर के जानवर के पूजा करेलन। कुछ गाँव में लोग बाघ या जानवर के तरह खुद के रंग लेला अउर सब लोग मिलके एह त्यौहार के खुशी-खुशी मनावेला। महाराष्ट्र में दीवाली वासु-वरस के रूप में मनावल जाला। दीवाली इहां पांच दिन के त्यौहार ह जवने में पहिला दिन धनतरेस के रूप में अउर पांचवां दिन भाऊबीज के रूप में मनावल जाला।
हिमाचल प्रदेश में दिवाली के बुद्धि दीवाली या अंधेरी दीवाली के नाम से मनावल जाला। शिमला में दिवाली के रात के करियाला नाटक कइल जाला। एहमें स्थानीय लोग के भीड़ इकट्ठा होला। इहे नाहीं दिवाली के दिन मजाक में गाली देहले के भी परम्परा ह, एह रिवाज के लोग हंसी-खुशी मनावेला। हिमाचल प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड में भी दिवाली अनोखा तरह से मनावल जाला। उत्तराखंड के गाँव में दिवाली के भयालो के नाम से भी मनावल जाला। गढ़वाल में बागवाली के नाम से भी त्यौहार मनवले के चलन बा। बागवाली दिवाली के एक महीना बाद महाभारत के पांडव के याद में मनावल जाला।
पंजाब के गाँव में दिवाली के समय ही चाउना मनावल जाला। इ दिवाली के एक दिन बाद मनावल जाला। अइसन मानल जाला कि एह दिन से पहिले जानवर घर छोड़ कर चल जालन। चाउना के दिन घर के पुरुष जानवर के ढूंढे निकलेलन तथा महिला लोग पारम्परिक नृत्य करेलीन। पश्चिम बंगाल में दिवाली के काली पूजा के रूप में भी मनावल जाला। एह दौरान यहां घर, मंदिर अउर पंडाल में काली के पूजा होला। काली पूजा के दौरान इहां बलि देवले के प्रथा भी प्रचलित बा।
उत्तर भारत के साथ ही दिवाली दक्षिण भारत में भी धूमधाम से मनावल जाला। आन्ध्र प्रदेश में दिवाली पांच दिन के त्यौहार होला। पहिला दिन धनतेरन के नाम से जानल जाला। दूसरका दिन नरक चर्तुदशी मनावल जाला। तीसरका दिन अर्थात दिवाली के दिन के कौमुदी महोत्सवम के रूप में मनावल जाला। आन्ध्र प्रदेश के गाँव में दिवाली के बाद सदर महोत्सव मनावल जाला अउर एहके दुनापोथला पडुंगा के नाम से भी जानल जाला। कर्नाटक के कुछ राज्य में दिवाली हिरियारा हाबा के नाम से मनावल जाला। एह त्यौहार में अपनी पूर्वज के भी याद कईल जाला।