महाशिवरात्रि के पर्व महादेव के भक्तों खातीर सबसे प्रिय त्योहार मानल जाला। रउआ सभे के बता दी कि फागुन मास कृष्णपक्ष के चतुर्दर्शी तिथी पर शिव पूजा के महापर्व शिवरात्रि मनावल जाला अउर ज्योतिष के लिहाज से देखल जाओ त जब सूर्य कुंभ राशि अउर चंद्रमा मकर राशि में होला त चतुरदर्शी तीथि के रात इ पर्व मनावल जाला… एकर अलावा एह बार महाशिवरात्रि पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहल बा। सबसे पहिले रउआ सभेके महाशिवरात्रि के पूजन मुहूर्त के बारे में बता दिहीं… महाशिवरात्रि 21 तारीख शाम 5 बजके 20 मिनट से शुरु होके अगला दिन यानि 22 फरवरी दिन शनिवार के शाम 7 बजके 2 मिनट तक रही.. जेकरा चलते पहिला पहर के पूजा शाम 6 बजके 15 मिनट से शुरु होके रात 9 बजके 26 मिनट ले रही… एकरा बाद दूसरा प्रहर के पूजा रात 9 बजके 26 मिनट से लेके 22 फरवरी के सुबह 12 बजके 36 मिनट तक होखी… तीसरा पहर के पूजा सुबह 12 बजके 36 मिनट से लेके सुबह तीन बजके 47 मिनट तक रही अउर चउथा पहर के पूजा सुबह 3 बजके 47 मिनट से लेके सुबह 6 बजके 58 मिनट तक होखी… एह शिवरात्रि गौर करे वाला बात इ ह कि एह बार के शिवरात्रि पूजा पर 117 साल बाद शनि अउर शुक्र के दुर्लभ योग बन रहल बा… एह बार शिवरात्रि पर शनि आपन स्वयं के राशि मकर में अउर शुक्र ग्रह आपन उच्च राशि मीन में रही अउर इ एगो दुर्लभ योग बा, जब इ दुनों बड़ ग्रह शिवरात्रि पर एह स्थिति में रही. बता दीं कि 2020 से पहिले 25 फरवरी 1903 के ठीक अइसन ही योग बनल रहे अउर शिवरात्रि मनावल गईल रहे। एह साल गुरु भी आपन उपराशि धनु राशि में स्थित बा… एह योग में शिव पूजा कइला से शनि, गुरु, शुक्र के दोष से भी मुक्ति मिल जाला… 21 फरवरी के सर्वार्थ सिद्धी योग भी बन रहल बा… पूजन खातीर अउर नया काम के शुरुआत करे खातीर इ योग बहुत ही शुभ मानल गइल बा.. त ओहिजे शिवरात्रि पर 28 साल बाद विष योग के निर्माण हो रहल बा… 24 जनवरी के शनि मकर राशि में प्रवेश कइले रहे… अउर अब इ 21 फरवरी के चंद्र के साथ मकर राशि में ही रहिहें… शनि चंद्र के साथ के वजह से ही विष योग बन रहल बा… 2020 से करीब 28 साल पहिले शिवरात्रि पर विष योग 2 मार्च 1992 के बनल रहे…. एह योग में शनि अउर चंद्र खातीर विशेष पूजा करेके चाहीं….शिवरात्रि पर इ योग बने से एह दिन पूजा के महत्व अउर ज्यादे बढ़ गइल बा….कुंडली में शनि अउर चंद्र के दोष दूर करे खातीर शिव पूजा करे के सलाह दीहल जाला….
त चलीं अब रउआ सभे के शिवरात्रि के पौराणिक महत्व के बारे में बतावत बानी….पौराणिक मान्यता के अनुसार एही पावन रात्रि के भगवान शिव सरक्षण अउर विनाश के सृजन कइले रहन…मान्यता इ भी ह कि एही पावन दिन भगवान शिव अउर देवी पार्वती के विवाह संपन्न भईल रहे…. एह विशेष दिन भगवान शिव के बेलपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर अउर गंगाजल से अभिषेक करे के चाहीं…. अइसन कइला से लोग के सब समस्या दूर होला अउर उनुकर सब इच्छा पूरा होला….