साल 2021 सभे खातीर बहुत खास होखे वाला बा. काहेकि 2021 में हरिद्वार में भव्य कुम्भ के आयोजन कईल जाई. जेकर स्नान के तारिखे भी घोषित कर दिहल गईल बा अउर तिथियों के घोषणा के बाद काम में तेजी देखे के मिल रहल बा. त चलीं रउआ सभे के बतादिहीं की कवन तारिख के पड़ रहल बा शाही स्नान. कुम्भ मेला के पहिला स्नान 14 जनवरी 2021 के होखी, जबकी पहिला शाही स्नान 11 मार्च के बा. हरिद्वार कुम्भ में 4 शाही स्नान अउर 6 पर्व स्नान होखी. पहिला पर्व स्नान 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के पड़ रहल बा. 11 फरवरी मौनी अमावस्या के दिन दुसरका स्नान होखी. 16 फरवरी के बसंत पंचमी के स्नान बा. 27 फरवरी के दिने माघ पूर्णिमा पर श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगइहें. फिर 13 अप्रैल के नवम्स वत्सर अउर 21 अप्रैल के रामनवमी पर्व के स्नान बा. इ त भईल पर्व स्नान अब रउआ सभे के बता रहल बानी शाही स्नान के तिथी. साल 2021 के हरिद्वार कुम्भ के पहिला शाही स्नान 11 मार्च के महाशिवरात्री के दिने होखी. एकरे अलावा 12 अप्रैल के सोमवती अमावस्या, 14 अप्रैल के बैसाखी अउर 27 अप्रैल के चैत्र पुर्णिमा पर शाही स्नान होखी.
कुम्भ में स्नान करे के काहे एतना महत्व बा, एकरा बारे में कुम्भ से जुड़ल प्राचीन समुंद्र मंथन के कथा प्रचलित ह. कथा के अनुसार प्राचीन समय में महर्षि दुर्वासा के श्राप के चलते स्वर्ग श्रीहीन यानी स्वर्ग से ऐश्वर्य अउर धन-वैभव खत्म हो गईल रहे. तब सभन देवता लोग भगवान विष्णु के पास गइलें. विष्णु जी असुरन के संघे मिलके समुद्र मंथन करे के सुझाव दिहलें. उ बतवलें कि समुद्र मंथन से अमृत निकली. अमृत पान कईला से सभन देवता लोग अमर हो जइहें. देवता लोग इ बात असुरन के राजा बली के बतइलें, त ओहन लोग भी समुद्र मंथन खातीर तइयार हो गइलन. एह मंथन में वासुकी नाग के नेती बनावल गईल अउर मंदराचल पर्वत के सहायता से समुद्र के मथल गईल. समुद्र मंथन से 14 रत्न निकलल रहे. जवना में कालकूट विष, कामधेनु, उच्चैश्र्वा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुब मणी, कल्प वृक्ष, अप्सरा रम्भा, महालक्ष्मी, वारुणी देवी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, पाँचजन्य शंख अउर भगवान धनवंतरी आपन हाथ में अमृत कलश लेके निकलले. जब अमृत कलश बाहर निकलल त सभे देवता अउर असुर ओकर पान कईल चाहत रहन। अमृत खातीर देवता अउर दानव में युद्ध होखे लागल. एह दौरान कलश से अमृत के बूंद चार स्थान हरिद्वार, प्रयाग, नासिक अउर उज्जैन में जा गिरल. देवता अउर दानव के युद्ध 12 वर्ष तक चलल रहे. एही से इ चारों स्थान पर हर 12-12 साल पर एकबार कुम्भ के मेला लागेला. एह मेला में सभे अखाड़ा के साधु-संत अउर श्रद्धालु इहां के पवित्र नदियों में स्नान करेलन.