दिल्ली के गोल मार्किट स्थित मुक्तधारा सभागार में 11 नवंबर के सांझ के रंगश्री भोजपुरी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार नरेन्द्र रस्तोगी ‘मशरक’ कृत भोजपुरी नाटक ‘मास्टर गनेसी राम’ के मंचन कइलस। एह नाटक के माध्यम से लेखक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार आ कामचोर शिक्षकन के व्यवहार पर बहुत धारदार प्रहार कईले बाड़ें। बिहार के सारण के रहेवाला नरेन्द्र रस्तोगी ‘मशरक’ भोजपुरी आ हिन्दी के जानल-मानल साहित्यकार आ पत्रकार रहनी। उनकर लेखनी कहानी, उपन्यास, नाटक, व्यंग्य, हास्य व्यंग्य आदि पर समान रूप से चलल आ हिन्दी आ भोजपुरी के अनेक पत्र-पत्रिकण में स्तम्भ लेखन आ सम्पादन भी कईनी। इन्हां के 400 से अधिक कहानी, आठ उपन्यास आ तीन नाटक लिखले बानी। मास्टर गनेसी राम उहां के पहिला प्रकाशित हिन्दी नाटक बा जेकर मंचन बंगला अंग्रेजी आ भोजपुरी में भी भइल बा।
मुख्य अतिथि के रूप में एल एस कॉलेज मुजफ्फरपुर के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डॉ. जयकान्त सिंह , विशिष्ठ अतिथि ब्रजभूषण मिश्र आ दीपक रस्तोगी तथा अति विशिष्ट अतिथि भोजपुरी सुपरस्टार आ दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी मां सरस्वती के नमन करत दीप प्रज्जवलन से कार्यक्रम के शुरुआत कइलें। सभागार में खचाखच भरल रंगप्रेमी दर्शकन के ताली आ ठहाका से नाटक के सफलता के अंदाज़ लाग सकेला।
महेन्द्र प्रसाद सिंह गनेसी राम के भूमिका में रहलें, रुस्तम कुमार चपरासी लछमन, अखिलेश कुमार पांडेय शिक्षक ज्ञानप्रकाश, लव कांत सिंह शिक्षक बुद्धिनाथ, किरण अरोड़ा शिक्षिका मिस लाली, आर जी श्याम डिप्टी साहब आ कृति गनेसी राम के पत्नी के भूमिका में रहली। कलाकारन के जबरदस्त अभिनय के दर्शकन द्वारा बहुत सराहल गइल। नाटक के निर्देशक रहलें बिहार सम्मान से सम्मानित रंगकर्मी महेन्द्र प्रसाद सिंह आ सह निर्देशक रहलें लव कांत सिंह।
रंगश्री पिछला 42 साल से भोजपुरी आ हिंदी नाटकन के संरक्षित आ संवर्धित करे खातिर तन मन धन से लागल बा। रंगश्री 14 नवंबर के भारत सरकार के ओर से उत्तर-पूर्व के राज्यन में पांच दिन अलग अलग जगह नाटक करे जा रहल बा।