मां दुर्गा शेर के सवारी करेली इ सारा जग जाने ला, लेकिन माई के इ सवारी अइसे ही ना मिलल रहे। एकरा पीछे एगो बहुत रोचक कहानी बा। पौराणिक कथा के मुताबिक देवी पार्वती भगवान शिव के आपन पति रूप में पावे खातिर हजारों वर्ष तपस्या कइले रही। कहल जाला कि तपस्या में ऐतना तेज रहे कि जेकरा प्रभाव से देवी के रंग सांवर हो गइल। शिव से विवाह के बाद एक दिन शिव पार्वती से मजाक में उनकरा के काली कह दिहलन। मा पार्वती के इ बात चुभ गइल और ऊ कैलाश छोड़ के वापस तपस्या में लीन हो गइली।
मां जब तपस्या में लीन रही, तब उनकरा के खाये खातिर एक शेर आइल। मां पार्वती के तपस्या में लीन देख शेर चिंता में पड़ गइल। फिर आपन मन में विचार कइलस कि तपस्या भंग कर के खइला से अच्छा बा कि इनकर तप खत्म होखे तक इंतजार कइल जाओ। बस फेर का… समय बीतत गइल मां आपन तपस्या में लीन रही …. शेर भी उनका के खाए के इंतजार में जाने अंजाने सालों तपस्या के अवस्था में बैइठल रह गइल।
समय बीतत गइल और एक दिन भगवान शिव माता पार्वती के तप से प्रसन्न भइलन और मां के समक्ष प्रकट हो माता के गौरा होखे के आशिर्वाद दिहलन। त ओही दूसरी तरफ मां पार्वती जब ओइजा बैइठल शेर के सारा गाथा जनली त ओकरा पर अति प्रसन्न भइली और आपन शक्ति से उ शेर पर नियत्रंण कर आपन सवारी के रूप में शेर के आशिर्वाद दिहली।