लंका-युद्ध के समय ब्रह्माजी, रावण के हरावे खातिर रामजी के देवी चंडी के पूजा करे के कहलन। आउर… इ पूजा के खातिर मुश्किल से मिले वाला एक सौ आठ नील कमल भी देहलन।
लेकिन रावण भी लड़ाई में जीत होवे इ इच्छा से देवी चंडी के पाठ शुरु कर देहलस। रावण के पास खूब मायावी शक्ति रहे। रावण आपन मायावी शक्ति से राम जी के पूजा से एगो नीलकमल गायब कर देहलस।
एक नीलकमल गायब देख के राम जी घबरा गईलन…उनका आपन पूजा अकारथ लागे लागल। डर एह बात के रहे कि कहीं पूजा आधा रह गइल त देवी गुस्सा ना हो जास। लेकिन नीलकमल मिलो कहां से…ई बड़ा समस्या रहे। अचानके राम जी के याद परल कि उनकर माई उनका के कमलनयन भी कहत रही। तब तनिको देरी कइले बिना राम जी आपन आंख, देवी पर चढावे खातिर तीर उठवलन…तब एकदम से देवी चंडी प्रकट हो गईली और राम जी के रोक लेहली। देवी कहली कि … हे राम हम प्रसन्न बानी, और तोहरा के विजयश्री के आशीर्वाद दे तानी।
ओने रावण भी पूजा करत रहे। रावण के पूजा बिगाड़े खातिर हनुमान जी बुद्धि लगइलन…हनुमान जी बालक के रूप धारण करके ब्राह्मण सेवा में जुट गइलन। उनकर सेवा देख के ब्राह्मण लोग हनुमानजी के वर माँगे के कहलन…तब हनुमान जी कहलन कि आप लोग खुश बानी त जवन मंत्र से यज्ञ कर रहल बानी… ओकरा में बस एक अक्षर हमरा कहला से एक अक्षर दीही। ब्राह्मण लोग तथास्तु कह दिहलन।
हनुमान जी कहलन कि मंत्र में जयादेवी भूर्तिहरिणी के जगह आप लोग जयादेवी भूर्तिकरिणी बोले के बा ।
हम आपके बता दीं कि भूर्तिहरिणी में हरिणी के अर्थ होला प्राणियों के पीड़ा हरे वाली और ‘करिणी’ के अर्थ होला… प्राणियों के पीड़ा देवे वाली,…अब अइसन मंत्र सुन के देवी रुष्ट हो गइली और रावण के नाश कर दीहली। हनुमान जी के बुद्धि के इ एगो बहुत छोटा सा नमूना बा।