आश्विन मास के अमावस्या तिथि के महत्वपूर्ण मानल जाला। एकर सबसा बड़ वजह इ बा की पितृ पक्ष में इ अमावस्या के होवला। इ साल पितृमोक्ष अमावस्या 28 सितंबर के बा। इ बार 20 साल के बाद सर्व पितृमोक्ष अमावस्या शनिवार के दिन रही। इ दिन के श्राद्ध कर्म करल फलदायक मानल जाला। खास बात इ बा कि पितृ पक्ष में शनिवार के दिन अमावस्या के योग बहुते सौभाग्यशाली बा। एहसे पहले 1999 में इ संयोग बनल रहल, जब सर्वपितृ अमावस्या शनिवार के आईल रहल। अब 4 साल बाद 2023 में इ संयोग फिर से बनी।
गजच्छाया योग में श्राद्ध करे के विशेष महत्व बतावल गइल बा। इ शुभ योग में करल गइल श्राद्ध, तर्पण आउर दान के अक्षय फल मिलेला। इ शुभ योग में श्राद्ध करे से कर्ज से मुक्ति मिलेला, घर में समृद्धि आउर शांति भी मिलेला। इ बार पितृपक्ष में गजच्छाया योग नइखे बनत। पिछले साल इ योग बनल रहल। इ दुर्लभ योग तिथि, ग्रह आउर नक्षत्रों के विशेष स्थिति से बनेला। ज्योतिषियों के अनुसार इ शुभ योग साल में लगभग 1 या 2 बार हीं बनेला।
अइसन मानल जाला कि पितृपक्ष के 16 दिन के अंदर पितर धरती पर उतरेलन आउर अमावस्या के उनकरा के विदाई देहल जाला। इ दिन धरती पर आइल सबे पितरों के विधिवत विदाई देवल जाला आउर उनकरा शांति के उपाय करल जाला। इ तिथि एहुसे अहम बा काहे की अगर कौनो परिजन के मृत्युतिथि पता ना हो त इ दिन उनकरा शांति खातिर श्राद्ध करेके चाहिए।
इ अमावस्या के श्राद्ध करेके पीछे मान्यता बा कि इ दिन पितरों के नाम के धूप देवे से मानसिक आउर शारीरिक तौर पर त संतुष्टि या शांति प्राप्त होबे करला, साथे घर में भी सुख-समृद्धि आवला।सब प्रकार के कष्ट दूर हो जाला । मान्यता इहो बा कि इ अमावस्या के पितृ आपन प्रियजन के दुआर पर श्राद्धादि के इच्छा लेकर आवेलन। यदि उ पिंडदान ना मिले तो उ असंतुष्ट वापस चल जाएलन, जेकरा फलस्वरूप घरेलू कलह बढ़ जाला आउर सुख-समृद्धि में कमी आवे लागेला। अइसन अवस्था में कार्य भी बिगड़े लागेला। एहिसे श्राद्ध कर्म अवश्य करेके चाहि।