होली यानी रंग-उमंग, मौज-मस्ती, ढोल-ढमाका, गीत-संगीत अउरी जम के खाना-पीना। बात जब गीत गवनई के होता त आईं कुछ प्रचलित होली गीत के चर्चा हो जाव जवन फगुआ के शुरुआत होते गावल-बजावल शुरू हो जाला। चाहे अवध के होली हो या ब्रज के, गाँव के हो या सहर के, होली-गीतन के बिना कहीं के होली अधुरा लागेला। त प्रस्तुत बा भारतीय जनमानस में सैकड़ों साल से रचल-बसल होली गीत।
होली खेले रघुवीरा अवध में
होली खेलैं रघुवीरा।
ओ केकरे हाथ ढोलक भल सोहै,
केकरे हाथे मंजीरा।
राम के हाथ ढोलक भल सोहै,
लछिमन हाथे मंजीरा।
ए केकरे हाथ कनक पिचकारी
ए केकरे हाथे अबीरा।
ए भरत के हाथ कनक
पिचकारी शत्रुघन हाथे अबीरा।
अब मिथिला के होली के गीत जब राम अउरी सीता रंग से भरल स्नेह एक दूसरा पर उड़ेल रहल बाटे लोग।
होरी खेलैं राम मिथिलापुर मां
मिथिलापुर एक नारि सयानी,
सीख देइ सब सखियन का,
बहुरि न राम जनकपुर अइहैं,
न हम जाब अवधपुर का।।
जब सिय साजि समाज चली,
लाखौं पिचकारी लै कर मां।
मुख मोरि दिहेउ, पग ढील
दिहेउ प्रभु बइठौ जाय सिंघासन मां।।
हम तौ ठहरी जनकनंदिनी,
तुम अवधेश कुमारन मां।
सागर काटि सरित लै अउबे,
घोरब रंग जहाजन मां।।
भरि पिचकारी रंग चलउबै,
बूंद परै जस सावन मां।
केसर कुसुम, अरगजा चंदन,
बोरि दिअब यक्कै पल मां।।
कान्हा के चर्चा के बिना ब्रज के होली के अधुरा बाटे। राधा अउरी सब गोपी लोग के साथे श्याम के मनभावन होली के छटा जब लोकगीतन में मिलेला त सुने वाला झूम के रह जाला।
आज बिरज में होली रे रसिया,
आज बिरज में होली रे रसिया,
होली रे रसिया, बरजोरी रे रसिया।
उड़त गुलाल लाल भए बादर,
केसर रंग में बोरी रे रसिया।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप,
और मजीरन की जोरी रे रसिया।
फेंक गुलाल हाथ पिचकारी,
मारत भर भर पिचकारी रे रसिया।
इतने आये कुंवरे कन्हैया,
उतसों कुंवरि किसोरी रे रसिया।
नंदग्राम के जुरे हैं सखा सब,
बरसाने की गोरी रे रसिया।
दौड़ मिल फाग परस्पर खेलें,
कहि कहि होरी होरी रे रसिया।
एगो अउरी गीत जे ब्रज में खूब गावल जाला-
होरी खेलत राधे किसोरी
बिरिजवा के खोरी।
केसर रंग कमोरी घोरी
कान्हे अबीरन झोरी।
उड़त गुलाल भये बादर
रंगवा कर जमुना बहोरी।
बिरिजवा के खोरी।
लाल लाल सब ग्वाल भये,
लाल किसोर किसोरी।
भौजि गइल राधे कर सारी,
कान्हर कर भींजि पिछौरी।
बिरिजवा के खोरी।
मर्यादापुरुषोतम श्रीराम के अउरी गीत जे होली के रंग-रस में डूबल खूब गावल-बजावल जाला।
सरजू तट राम खेलैं होली,
सरजू तट।
केहिके हाथ कनक पिचकारी,
केहिके हाथ अबीर झोली,
सरजू तट।
राम के हाथ कनक पिचकारी,
लछिमन हाथ अबीर झोली,
सरजू तट।
केहिके हाथे रंग गुलाली,
केहिके साथ सखन टोली,
सरजू तट।
केहिके साथे बहुएं भोली,
केहिके साथ सखिन टोली,
सरजू तट।
सीता के साथे बहुएं भोली,
उरमिला साथ सखिन टोली,
सरजू तट।