महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम प… गंगा किनारे लागे वाला बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला के… कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथे… आगाज हो गइल बा। एक दिसम्बर तक चलेवाला इ मेला के शुरुआत करे अइलन एसपी सांसद नीरज शेखर।
एक साल के इंतजार के बाद जवन घड़ी के इंतजार पूरा पूर्वांचल के होला, उ ददरी मेला के मीना बाजार करीब डेढ़ किमी के परिधि में लगेला। इ मेला में करीब पांच लाख लोग गंगा में डुबकी लगावेलन। गाय, बैल, भैस, घोड़ा, खच्चर सहित हजारों के संख्या में गधा भी इ मेला में बेचल अउर खरीदल जाला। 500 से जादे दुकान के अपना में समेटले इ मेला में चेतक प्रतियोगिता, दंगल के साथे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, मुशायरा, लोक गीत, कव्वाली जइसन कार्यक्रम महीना दिन ले चलेवाला इ मेला के शान बढ़ावेला।
मान्यता ह कि महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नेतृत्व में इहां यज्ञ भईल रहे, जवना में 88 हजार ऋषि शामिल भईल रहन। ओकरा बाद से ही शुरू भइल इ परम्परा समय के साथ ‘लोक मेला’ में बदल गइल।
एक अउर मान्यता के अनुसार 7 हजार साल पहिले महर्षि भृगु आपन तप से जान गइल रहन कि गंगा इहां सूख जायी। एह से उ आपन शिष्य दर्दर से कहके अयोध्या से सरयू नदी के प्रवाह इहां ले करव्वले रहन। ओ घड़ी नदियों के संगम भइला से इहां के लोग उत्सव मनवले रहन, जवन आज इहां मेला में तब्दील हो गइल बा।