इ सिर्फ कवनों बैंड के धुन ना ह…महिला सशक्तिकरण के नई इबारत भी ह। बिहार के राजधानी से सटल दानापुर प्रखंड में ढिबरा गांव के महादलित समाज से जुड़ल महिला आपन हौसला अउर जिद से जिंदगी के एगो नया कहानी लिख रहल बाड़ी।
कभी दूसर के खेत में मजदूरी करे वाली इ महिला आज आपन बैंड के साथे सफलता के कुलांचा भरत बाड़ी। एगो समाजसेवी के मदद से दानापुर के ढिबरा गांव के दसगो महिला लोग मिलके बैंड बनइली जा। डेढ़ साल घर-बच्चा संभाले के साथे-साथे ट्रेनिंग जारी रखली जा अउर समाज-परिवार के ताना अउर गुस्सा के सामना कइली जा। लेकिन आपन हिम्मत के कायम रखली, काहे कि चाहत कुछ कर गुजर जाए के रहे।
सरगम महिला बैंड चलावे वाली इ महिला खाली बिहार में ही ना, बल्कि दूसर राज्य इहां तक की दिल्ली में भी शादी-विवाह, जन्मोत्सव, उद्घाटन समारोह, खेलकूद, सरकारी,गैर सरकारी कार्यक्रमों में आपन कार्यक्रम पेश करेली।
कबो गरीबी के मार झेले वाली इ महिला आज आपन दम प आपन बच्चा के अच्छा स्कूल में पढ़ावत बाडी। पैइसा खातीर परिवार के मुंह नइखे ताके के पड़त…
महिला बैंड के मिसाल मानके कई कार्यक्रम में एहन लोग के सराहल अउर सम्मानित कइल गइल बा। देखल जाओ त इ पुरस्कार ओहन लोग के सपना के उड़ान के मजबूती दिही।
काल तक इनकर कुछ कर गुजरे के चाहत के अपमान करे वाला आज इनकर तारीफ में कशीदा पढ़ रहल बाड़न। गांव के इ लोग इ लोग अशिक्षित महिला समाज के सामने एगो बड़ लकीर खींच दिहले बाड़ी अउर खुद के सशक्त बनइली बाड़ी जा।
इ महिला के हौसला देख के राजधानी पटना से सटल पुनपुन के भी महादलित महिला लोग प्रशिक्षण लेवे खातीर आगे आईल जा। इ अनपढ़ महिला कालतक टूटल फुटल भाषा में बतियावत रहली, बाकी आज समाज के आपन बैंड के भाषा में दिशा दिखावत बाड़ी। आज गांव समाज भी इनकर उड़ान के आगे नतमस्तक बा।