दिल में तमन्ना आउर कुछ अलग करे के जज्बा होखे त कवनो भी काम कठिन नाहीं होला। ई कहावत पूरा कर दिखवले बड़े बिहार के नालंदा जिला के मेघी गांव निवासी आलोक कुमार। आलोक नौकरी छोड़ खेती के पेशा बनवलें आउर ऊ ना केवल अच्छा पैसा कमा रहल बाड़े बल्कि कई लोग के रोजगार भी देले बाड़े। आलोक आज देशी से लेके विदेशी फसल के खेती कर रहल बाड़े।
नालंदा के दीपनगर के मेघी गांव के रहे वाला युवा किसान आलोक कृषि के पढ़ाई गुजरात के ‘दन्तेबाड़ा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी’ आउर ‘पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी’ लुधियाना में पूरा कईलन। पढ़ाई करे के बाद यूनिवर्सिटी में ही 2016 से 2017 तक करीब 15 महीना, 30 हजार रुपया प्रति महीना के सैलरी पर प्लांट ब्रिंडिग एंड जेनेटिक्स विभाग में नौकरी कईलन। एह नौकरी में उनकर मन ना लगल। आलोक नौकरी छोड़ गांव आ गईले आउर खेती में जुट गईले।
आलोक कुमार बतवलें कि उ कृषि के गुण सीखे के खातीर पढ़ाई के दौरान गुजरात से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा समेत कई जिला के भ्रमण करत रहले तबे गुजरात में जेलबेरा के खेती देखलें आउर मन में जेलबेरा के खेती करे के ठान लेहलें। आलोक रेड जेलवेरा, ऑरेंज जेलबेरा, पिंक जेलबेरा, पीला जेलबेरा समेत कुल सात किस्म के जेलबेरा के फसल करीब एक हजार स्क्वायर मीटर में नेट हाउस के माध्यम से कईलें।
किसान आलोक कुमार बतवलें कि जर्मनी देश में उपज होखे वाला पीला शिमला मिर्च के खेती भी ट्रायल के रूप में कर रहल बाड़े। साथे साथ स्ट्रॉबेरी के खेती प्रायोगिक रूप में कर रहल बाड़े। आलोक कुमार बतवलें कि करीब 16 कट्ठा में बारहमासी सहजन के खेती आउर 8 कट्ठा भूमि में पपीता के खेती पहिला बार कर रहल बाड़े। शिमला मिर्च के अच्छा उपज देखके आउर प्रतिदिन करीब 60 किलोग्राम शिमला मिर्च आउर काफी मात्रा में जेलबेरा के फूल बेचके काफी खुश बाड़ें। आलोक कुमार बतवलें कि 30 हजार रुपया के नौकरी से कहीं ज्यादा मुनाफा खेती करके मिल रहल बा। प्रति वर्ष 10 से 12 लाख खर्च करके करीब 20 लाख के आमदनी कर लेनी आउर मुनाफा के अनुपात लगभग दोगुना होला। आलोक आज एह खेती से 20 से 30 लोग के रोजगार भी दे रहल बाड़े। जिला के दूसरा किसान एह युवा किसान से रोजाना कुछ सीख रहल बाने। ई युवा किसान दूसरा किसानन खातीर एगो नजीर बन रहल बाड़े।