इ साल बिदेसिया नाटक के सौ साल पूरा हो चुकल बा । भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाए वाला भिखारी ठाकुर के नाटक ‘बिदेसिया’ भी ऐगो रचना ह। अब तक बिदेसिया के जेतना भी नाट्य प्रस्तुत भइल बा अउर लोक गायन मंडली के कंठ से जेतना बार इनकर गीत फूटल बा, उतना शायद ही कवनों रचना के सम्मान मिलल होइ।
भोजपुरी शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के लोक-परंपरा में ,अनेकन अइसन रचना बा , जवन ना सिर्फ लोगन के मनोरंजन भइल बा , बल्कि बड़े सामाजिक बदलाव के उपकरण साबित भइल,अउर आगे चलकर एगो नया लोक-शैली के प्रस्थान-बिंदु बनल।
बिदेसिया के रचनाकार भिखारी ठाकुर तीस साल के आयु 1917 में ‘बिदेसिया’ के रचना कइले रहन, जेकरा के उ खुद ‘बिदेसिया के नाच’ कहत रहन। इ महान कृति के सौ साल पूरी होत ही रचना के केतना प्रतियां बिकल अउर केतना संस्करण छपल। इ आधार प उनका के ‘बेस्ट सेलर’ के खिताब से भी नवाजल जाला।