छठ पर काहें होला भगवान सूर्य के पूजा ?
छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव होला। एकर शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी के होला अउर समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी के। छठ व्रती लगातार 36 घंटा तक के निर्जला उपवास रखेलें। एह व्रत में शुद्धता पर बहुत अधिक ध्यान देहल जाला, एहिसे एके कठिन व्रत में से एक मानल जाला । एह बार छठ के इ पर्व 1 नवंबर के नहाय-खाय से शुरू हो गईल बा अउर 3 नवंबर के समाप्त होई।
भगवान सूर्य के होला पूजा
छठ पूजा वास्तविक रूप में प्रकृति के पूजा ह। एह अवसर पर सूर्य भगवान के पूजा होला, जेनके एगो मात्र अइसन भगवान मानल जाला जवन साक्षात् दिखाई देलन। अस्तलगामी भगवान सूर्य के पूजा कके इ दिखवले के कोशिश कईल जाला कि जवन सूर्य दिनभर जिंदगी के रौशन कईने उनके निस्तेज होखले पर भी उनकर नमन कईल जाला। छठ पूजा के मौका पर नदि, तालाब, जलाशय के किनारे पूजा कईल जाला जवन सफाई के प्रेरणा देला। इ पर्व नदि के प्रदूषण मुक्त बनावे के प्रेरणा देला। एह पर्व में केला, सेब, गन्ना सहित कईगो फल के प्रसाद के रूप में पूजा होला जिवने से वनस्पति के महत्ता भी समझल जा सकेला।
भगवान सूर्य के बहिन हई छठ देवी
सूर्योपासना के एह पर्व के सूर्य षष्ठी के मनावल जाला, लिहाजा ऐके छठ कहल जाला। एह पर्व के परिवार में सुख, समृद्धि अउर मनोवांछित फल प्रदान करे वाला मानल जाला। अइसन मान्यता ह कि छठ देवी भगवान सूर्य की बहेन ही, एहिसे लोग सूर्य के तरफ अर्घ्य दिखावेने अउर छठ मइया के प्रसन्न करे के खातिर सूर्य के आराधना करेने। ज्योतिष में सूर्य के सब ग्रह के अधिपति मानल गईल बा। सब ग्रह के प्रसन्न कईले के बजाय अगर बस सूर्य के ही आराधना कईल जाव अउर नियमित रूप से अर्घ्य (जल चढ़ावल) जाव त कईगो लाभ मिल सकेला।
अइसे कईल जाला इ पूजा
छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में पहिले दिन नहाय-खाय से, दूसरका दिने खरना अउर तीसरका दिने डूब सूर्य अउर चौथा दिन उगत सूर्य के पूजा कईल जाला। नहाए-खाए के दिन नदि में स्नान कईल जाला। एह दिन चावल, चना के दाल बनावल जाला। कार्तिक शुक्ल पंचमी के खरना बोलल जाला। पूरा दिन व्रत कईले के बाद शाम के व्रती भोजन करेने। षष्ठी के दिन सूर्य के अर्ध्य देवे के खातीर तालाब, नदी चाहें घाट पर जाइल जाला अउर स्नान कके डूबत सूर्य के पूजा कईल जाला। सप्तमी के सूर्योदय के समय पूजा कके प्रसाद बांटल जाला।
एकर वैज्ञानिक महत्व
अगर सूर्य के जल देवे के बात कईल जाव त एकरे पीछे विज्ञान छिपल बा। मानव शरीर में रंग के संतुलन बिगड़ले से भी कई रोग के शिकार होखले के खतरा होला। सुबह के समय सूर्यदेव के जल चढ़ावत समय शरीर पर पड़े वाला प्रकाश से इ रंग संतुलित हो जाला। (प्रिज्म के सिद्दांत से) जवने से शरीर के रोग के प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ जाला। सूर्य के रोशनी से मिले वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होला। त्वचा के रोग कम होला।