आश्विन मास के पूर्णिमा के शरद पूर्णिमा कहल जाला. एही दिन से सर्दी के शुरुआत हो जाला. शरद पूर्णिमा प चंद्रमा आपन सोलहों कला के संगे उदित होके अमृत बरसावेला. एह दिन लोग दूध, चावल अउर चिनी के खीर बनाके चांदनी रात में खुला आसामान के नीचे छनी से ढक के रखेलन. दूध, चावल, चीनी के संबंध चांद अउर देवी लक्ष्मी से ह. रात में गिरेवाला अमृत खीर में चल जाला. खीर में अमृत के अंश होखे से स्वास्थ्य रूपी धन के प्राप्ति होला. शरद पूर्णिमा के दिन खीर जरुर खाए के चाहीं अउर रात में खीर जरूर राखे के चाही.
जगत कल्याण खातिर अमृत बरसे वाला इ शरद पूर्णिमा में जब भगवान श्रीकृष्णा जी वृन्दावन में रासलीला करे के योजना बनवलन, त उ महारासलीला में एगोमात्र कृष्णजी के छोड़ के बाकी पुरुष लोग के प्रवेश वर्जित रखल गईल रहे. इ रासलीला देखे के इच्छा महादेवजी के मन में एतना प्रबल भईल कि उ गोपिका के रूप धके वृन्दावन पहुंच गइलन अउर रासलीला में शामिल होके कृष्णाजी के लीला के आनंद लिहलन.
शरद पूर्णिमा के कोजागरा के रात भी कहल जाला. कोजारा के अर्थ होला कवन जागता. कहल जाला कि एह रात देवी लक्ष्मी सागर मंथन से प्रकट भईल रही. एही से देवी लक्ष्मी आपन जन्मदिन पर शरद पूर्णिमा के रात्रि में इ देखे खातिर धरती प घुमेली कि एह दिन कवन-कवन जागके उनकर पूजा कर रहल बा. ओकरा के माई लक्ष्मी धन-वैभव के आशीर्वाद देवेली.
शरद पूर्णिमा- 13 अक्टूबर,2019
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 13 अक्टूबर को 00:38:45 से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 अक्टूबर 2019 को 02:39:58 पर