ब्रह्म पुराण के अनुसार दिवाली पर अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मी जी सद्ग्रहस्थ के घर में विचरण करेली। एह दिन पुरा घर के साफ-सुथरा करके सजावल-संवारल जाला। दीपावली मनवला से श्री लक्ष्मीजी प्रसन्न होके स्थायी रूप से सद्गृहस्थ के घर में निवास करेली। दीपावली धनतेरस, नर्क चतुर्दशी आउर महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा आउर भाईदूज एह 5 पर्व के मिलन ह। मंगल पर्व दीपावली के दिन सुबह से लेकर रात तक का करि कि महालक्ष्मी के घर में स्थायी निवास हो जाई।
त आईं जानी विस्तार से…….
दीपावली के पूजन के संपूर्ण विधि देहल गईल बा। फिर भी संक्षेप में एह 25 बिंदु से जानीं कि का कईल जाव एह दिन
- सबेरे नहा के साफ होके साफ वस्त्र धारण करीं।
- अब निम्न संकल्प लेके दिनभर उपवास रहीं-
“मम सर्वापच्छांतिपूर्वकदीर्घायुष्यबलपुष्टिनैरुज्यादि-सकलशुभफल प्राप्त्यर्थं
गजतुरगरथराज्यैश्वर्यादिसकलसम्पदामुत्तरोत्तराभिवृद्ध्यर्थं इंद्रकुबेरसहितश्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये”
- दिन में पकवान बनाईं या घर सजाईं। एपने से श्रेष्ठ के आशीर्वाद लेंईं।
- शाम के फिर से पुनः नहा लीं।
- लक्ष्मीजी के स्वागत के तैयारी में घर के सफाई करके दीवार के चूना चाहें गेरू से पोतके लक्ष्मीजी के चित्र बनाईं। (लक्ष्मीजी के चित्र भी लगावल जा सकेला)
- भोजन में स्वादिष्ट व्यंजन, कदली फल, पापड़ अउर अनेक प्रकार के मिठाई बना ली।
- लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एगो चौकी रखके चौकी पर मौली बांध ली।
- गणेशजी के मिट्टी के मूर्ति स्थापित करीं।
- फिर गणेशजी के तिलक करके पूजा करीं।
- अब चौकी पर छ चौमुख व 26गो छोटहन दीपक रखीं।
- दीपक तेल-बत्ती डालके जलाईं।
- फिर से जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजा करीं।
- पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोना में जलाके रखीं।
- एगो छोटहन अउर एगो चौमुखा दीपक रखके निम्न मंत्र से लक्ष्मीजी के पूजा करीं :
“नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया॥
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात“॥
साथे एह मंत्र से इंद्र देवता के ध्यान करीं :-
“ऐरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः
शतयज्ञाधिपो देवस्तमा इंद्राय ते नमः”॥
ओकरे बाद एह मंत्र से कुबेर के ध्यान करीं :-
“धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः”॥
- इह पूजन के पश्चात तिजोरी में गणेशजी अउर लक्ष्मीजी के मूर्ति रखके विधिवत पूजा करीं।
- ओकरे बाद इच्छानुसार घर के बहू-बेटियन के रुपया दिहिई।
- लक्ष्मी पूजन रात के बारह बजे कईले के विशेष महत्व बा।
- एकरा खातिर एगो पाट पर लाल कपड़ा बिछाके ओह पर एगो जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेशजी की मूर्ति रखीं।
- एक सौ एक रुपया, सवा सेर चावल, गुड़, चार गो केले, मूली, हरा ग्वार के फली अउर पांच गो लड्डू रखके लक्ष्मी-गणेश के पूजा करीं।
- लड्डु से भोग लगाईं।
- दीया काजल सब स्त्री-पुरुष के आँखीं में लगाईं।
- फिर रात के जागरण कके गोपाल सहस्रनाम पाठ करीं।
- व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी के भी विधिपूर्वक पूजा करीं।
- रात के बारह बजे दीपावली पूजन के बाद चूना या गेरू में रुई भिगोके चक्की, चूल्हा, सिल अउर छाज (सूप) पर तिलक करीं।
- दूसरका दिन सबेरे चार बजे उठके पुरान छाज में कूड़ा रखकेर ओके दूर फेंके खतिर ले जात समय कहिं ‘लक्ष्मी-लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिद्र जाओ’।