भारत एगो बहुत बड़हन देश ह जवना से बांग्लादेश आ पाकिस्तान नाम के हिस्सा अलग हो गइल। अब जवन हिस्सा बचल बा ओकरा के हिन्दुस्तान कहल जाला। हिन्दुस्तान के हर राज्य में दीपावली के उत्सव मनावला के परंपरा अलग-अलग ह। भारत के अगर हमनी के 6वों दिशा में विभाजित करके देखल जाए त एगो पश्चिम भारत, दूसरा पूर्वी भारत, तीसरा उत्तर भारत, चौथा दक्षिण भारत, पांचवां मध्यभारत आउर पूर्वोत्तर राज्य यानि पूर्व अउर उत्तर के बीच स्थित राज्य।
गौर करे वाला बात इ बा कि इ त्योहार लगभग सब राज्य में 5 दिनों तक चलेला। एह दौरान घर के सफाई-पुताई, नया वस्त्र बर्तन आउर खरीदल, पारंपरिक व्यंजन बनावल, रंगोली बनावल, मिठाई बाँटल, पटाखा छोड़ल अउर लक्ष्मी पूजा करनल सब राज्य में प्रचलित बा। बस फर्क बा त पारंपरिक व्यंजन के स्वाद के, वस्त्र के आउर पूजा के।
दिवाली में सबसे आगे पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, बिहार आउर झारखंड राज्य शामिल बा। पूर्वोत्तर भारत में भी दीपावली के आपन खास महत्व बा। एइजा भी उत्तर भारत जइसन ही दिवाली मनावल जाला बस फर्क बा व्यंजन अउर पारंपरिक वस्त्र के। ए दिन दीया त जलावले जाला, साथे पारंपरिक नृत्य के भी महत्व दिहल जाला। इहां प्रकाश कर के लोग अपने घर के दरवाजा खुला रखेला जेसे कि देवी लक्ष्मी प्रवेश कर सकें काहें की देवी लक्ष्मी अंधेरा घर में प्रवेश ना करेली।
पश्चिम बंगाल में दिवाली के त्योहार बहुत उत्साह आउर उमंग के साथ मनावल जाला है। दिवाली के तैयारी 15 दिन पिहले से शुरू कर दिहल जाला। घर के बाहर रंगोली बनावल जाला। दिवाली के मध्यरात्रि में लोग महाकाली के पूजा-अर्चना करेला।
बिहार अउर झारखंड में दिवाली के मौका पर होली जईसन माहौल हो जाला। इहां बहुत धूमधाम से दीपावली के पर्व मनावल जाला। ईहां पारंपरिक गीत, नृत्य और पूजा के भी प्रचलन बा। अधिकतर क्षेत्र में काली पूजा के महत्व बा। लोग एक-दूसरे से गले मिलेला, मिठाई बांटेला, पटाखा छोड़ेला। धनतेरस के दिन बाजार सजा देहल जाला।
उत्तर भारत के अंतर्गत जम्मू अउर कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली आउर उत्तरप्रदेश आवेला। उत्तर भारत में दीपावली के त्योहार भगवान राम के विजयी गाथा आउर श्रीकृष्ण द्वारा शुरू कईल गईल परंपरा उत्सव से जुड़ल बा। पहिला दिन नरक चतुर्दशी श्रीकृष्ण से जुड़ल बा। दूसरा दिन देवता कुबेर आउर भगवान धन्वंतरि से जुड़ल बा। तीसरा दिन माता लक्ष्मी अउर अयोध्या में राम के वापसी से जुड़ल बा। चौथा दिन गोवर्धन पूजा यानि भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ल बा त पांचवां दिन भाई दूज के ह।
दीपावली के दिन भगवान राम, पत्नी सीता आउर भाई लक्ष्मण 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटले त संपूर्ण नगर के दीया से सजावल गईल। इ त्योहार कार्तिक महीने के अमावस्या के मनावल जाला। अमावस्या के दिन बहुते अंधेरा होला। लेकिन भगवान राम के अयोध्या वापस अइले पर अयोध्या के निवासी दीया जलाके अउर आतिशबाजी करके पूरा राज्य के प्रकाश से भरके श्रीराम के स्वागत कईले रहले। उत्तर भारत के खातिर इ त्योहार बुराई पर अच्छाई के जीत के महत्व से जुड़ल बा।
वइसे उत्तर भारत में दिवाली उत्सव के शुरुआत दशहरा के साथे ही शुरू हो जाला, तब रामायण के कहानी के नाटकीय रूप से दर्शावल जाला। इ नाटक कई रात तक चलेला। लेकिन एकर अंत बुराई पर अच्छाई के जीत के साथे होला। 5 दिन तक चले वाला दीपोत्सव के दिन इहां पारंपरिक व्यंजन अउर मिठाई बनावल जाला, साथ ही लोग नया वस्त्र पहिनके एक-दूसरे से मिलत, जुआ खेलत, पटाखा छोड़त आउर तरह-तरह के पारंपरिक व्यंजन के स्वाद चखेला। हिमाचल प्रदेश, दिल्ली आउर पंजाब के लोग दिवाली के रात में जुआ खेलेलन, काहें की ओइजा दिवाली में जुआ खेलल शुभ मानल जाला।