राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती पर देश बापू के नमन कर रहल बा| हर नागरिक तह-ए-दिल से बापू के सम्मान के साथ याद कर रहल बा| राष्ट्र खातिर गांधीजी के योगदान से भला के वाकिफ ना होई|अहिंसा से आजादी के अलख जलावे वाला आउर हमनी के आजादी दिलावे वाला इ दिव्य पुरुष के अइसहीं महात्मा ना कहल जाला….इ गांधी ही रहलन जे राजनीति के आदर्श आउर अध्यामिक्ता से जोड़लन आउर ओकरा के निर्मल बनावे के कोशिश कइलन…उ अंग्रेजन के खालसा अहिंसा आउर असहयोग के बल प आपन बात मनवावे प मजबूर कर देहले रहलन| इ एगो अद्भुत किस्म के क्रांतिकारी प्रयोग रहल| बाद में इ प्रयोग दुनिया के कईठे देश में अन्यायी प्रशासन के खिलाफ लड़े खातिर इस्तेमाल करल गइल रहल|
चंपारण के गरीब किसान लोग गांधीजी के महात्मा के उपाधि देले रहलन|चंपारण सत्याग्रह में शोषित किसान लोगन के हित खातिर लड़ाई करके बापू ओहन लोग के दिल जीतलन आउर 1920 से गांधीजी के महात्मा गांधी कहल जाए लागल| उ दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बैठक भइल, जेकरा में मोहम्मद अली जिन्ना बापू के महात्मा कहे से इनकार कर दिहलन|अइसन में गांधीजी कहलें, कि ‘‘हम महात्मा नइखीं। हम साधारण आदमी बानी। जिन्ना साहब के कवनो खास शब्द बोले खातिर कहके, रउआ लोग हमार सम्मान नाइखी करत| इ त रहल बापू के बड़पन्न… पूना समझौता के बाद गांधी जी अपना के पूरा तरह से हरिजन के सेवा खातिर समर्पित कर देहलन| जेल से छूटला के बाद उ 1932 ई. में ‘अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग’ के स्थापना कइलन| उ दउरान अंग्रेज लोग चाय, कपड़ा, इहां तक कि नमक जइसन चीज प भी आपन एकाधिकार क लेले रहलन…ओह समय बापू दांडी में नमक बनावलन अउर अंग्रेजी कानून के तोड़ दिहलन… गांधीजी एह आंदोलन से सिखवलन कि अगर शासन अन्यायी ह त ओकर विरोध कर जा.. बाकी इ विरोध अहिंसात्मक होखे के चाहीं… अगर रउआ सत्य के साथ बानी त जीत रउआ के जरूरे होयी… महात्मा गांधी के समुचे जिंदगी मानवीय आदर्शों के प्रयोगशाला रहल… बापू मानव जीवन खातिर सही माने में सभन आदर्श के प्रयोग आपन जीवन में कइले रहन, अउर ओहके सच साबित कइलन….आज बापू के देखावल एह राह प हमनीं के चले के होई. एही राष्ट्रपिता के प्रति हमनी के सच्ची श्रद्दांजलि होयी