हजारों भूमिहीन मजदूर, गरीब किसान अनाज के बजाय नील आउर अन्य नकदी फसल के खेती करे खातिर वाध्य हो गइल रहलन। उहां नील के खेती करे वाला किसान पर बहुते अत्याचार होत रहल। अंग्रेजन के ओर से खूब शोषण होत रहल। ऊपर से कुछ बगान मालिक भी जुलुम भी कम ना रहे। महात्मा गाँधी अप्रैल 1917 में राजकुमार शुक्ला के निमंत्रण पर बिहार के चम्पारन के नील कृषक के स्थिति के जायजा लेवे उवहां पहुँचलन। उनकरा दर्शन खातिर हजारों लोगन के भीड़ उमड़ पड़ल। किसान आपन सारा समस्या बतावलन। ओहर पुलिस भी हरकत में आ गइल। पुलिस सुपरिटेंडंट गांधीजी के जिला छोड़े के आदेश दिहलस। गांधीजी आदेश माने से इंकार कर दिहलन। अगला दिन गांधीजी के कोर्ट में हाजिर होवे के रहे। हजारों किसान के भीड़ कोर्ट के बाहर जमा रहे। गांधीजी के समर्थन में नारा लगावल जात रहे । हालात के गंभीरता के देखते हुए मेजिस्ट्रेट बिना जमानत के गांधीजी के छोड़े का आदेश दिहलस, लेकिन गांधीजी कानून के अनुसार सजा के माँग कइलन।
फैसला स्थगित कर दिहल गइल। बापू आपन प्रथम सत्याग्रह आंदोलन के सफल नेत्त्व कइलन, अब उनकर पहला उद्देश लोगन के ‘सत्याग्रह’ के मूल सिद्धात से परिचय करवावल रहे। उ स्वतंत्रता प्राप्त करे के पहिला शर्त रहे – डर से स्वतंत्र होवल। गांधीजी आपन कई स्वयंसेवक के किसान के बीच में भेजलन। इहां किसान के बच्चन के शिक्षित करे खातिर ग्रामीण विद्यालय खोलल गइल। लोग के साफ-सफाई से रहे के तरीका सिखावल गइल। सारा गतिविधि गांधीजी के आचरण से मेल खात रहे।इ दौरान गांधी जी, राजेंद्र बाबू, आचार्य कृपलानी आउर अनुग्रह बाबू जइसन सहयोगी के भोजन बनावे आउर घर के अन्य काम खुद करल सीखा दिहले रहे। स्वयंसेवक मैला ढोना, धुलाई, झाडू-बुहारी तक के काम कइलन।।चंपारण के इ ऐतिहासिक संघर्ष में डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ अनुग्रह नारायण सिंह, आचार्य कृपलानी, बृजकिशोर, महादेव देसाई, नरहरि पारीख समेत चंपारण के किसान लोगन अहम भूमिका निभवलन।
चंपारन के इ गांधी अभियान से अंग्रेज सरकार परेशान हो उठल। सारा भारत के ध्यान अब चंपारन पर रहल। सरकार मजबूर होके एगो जाँच आयोग नियुक्त कइलस, गांधीजी के भी एकर सदस्य बनावल गइल। परिणाम सामने रहे। कानून बनाके सब गलत प्रथा के समाप्त कर दिहल गइल। जमींदार के लाभ खातिर नील के खेती करे वाला किसान अब अपना जमीन के मालिक बनलन। गांधीजी भारत में सत्याग्रह के पहिला विजय के शंख फूँकलन। चम्पारन भारत में सत्याग्रह के जन्म स्थल बनल।