कालिदास रंगालय(पटना) में गुरुवार शाम “जमीला” नाटक के मंचन भईल। कोलकाता के रंग शिल्पी मौलाली के कलाकार लोग प्लवन बसु के निर्देशन में एकर मंचन कइल लोग। नाटक के जरिए स्त्री मन के समझे के शानदार कोसिस भईल।
नाटक आपन पहिले दृश्य से दर्शक लोग के बांधे में सफल भईल। सब कलाकारन के अभिनय प्रभावी रहल। चाहे ऊ जमीला के भूमिका हो चाहे चित्रकार या बूढ़ी माई।
युवा चित्रकार बड़का कैनवास पर तस्वीर बनावे के कोसिस करs ताड़न बाकिर ऊ पूरा नइखन कर पावत। ऊ आपन भाभी ‘जमीला’ के तस्वीर बनावत रहलन जेकर पति ‘सादिक’ दूर देस कमाए गईल बाड़न। ई शादी बलपूर्वक भईल बा एकरा बावजूद जमीला खुशी खुशी रहs ताड़ी अउरी हमेसा सादिक के याद करेली। जब समाज जमीला के अबला रूप में देखे लागल तबे जमीला आपन जिद पर उतर गइली। आखिर में उनुका जिंदगी में दिनयार अली अइलन अउरी जमीला के जिंदगी एगो दूसरे राह पर चल पड़ल।
पूरा नाटक में मंचीय परिकल्पना से लेके बैकग्राउंड साउंड अउरी लाइट के प्रयोग बहुत बढ़िया रहल। बांसुरी के तान अउरी गीतन के प्रस्तुति कार्यक्रम में चार चांद लगावत रहे। फसल कटाई के दृश्य त अद्भुत रहल।
सुशील कांति, अशोक चक्रवर्ती, विमल चंद्र डे, पार्थ सारथी बसु, सुबन्ता बैनर्जी, डालिया प्रामाणिक, कल्पना ठाकुर झा, रूपाश्री मजूमदार सहित सब कलाकार लोग के काम प्रशंसनीय रहल। सम्पूर्ण टीम के आपसी जुगलबंदी भी सराहनीय रहल।