कब भागी कोरोना: ज्योतिष के नज़र में

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ज्योतिष अउरी कोरोना

महामारी के रुप ले चुकल करोना पूरा विश्व खातिर समस्या बनल बा। सारा दुनिया के देश अपना-अपना स्तर पर एकर उपाय करे में लागल बा।
ज्योतिषी पं मनीष दुबे “वत्स” के अनुसार जब कोरोना फइलल तब गुरु बृहस्पति अउरी केतु के युति बनल। गुरु बृहस्पति निर्बल रहनीं, राहु द्वारा दृष्टिगत रहनीं अउर केतु प्रबल रहे। केतु में वायरस निर्माण के शक्ति होला अउरी राहु में वायरस के जैविक-संरचना के गुण होला जबकि गुरु बृहस्पति गैसीय पिण्ड हईं। निर्बल गुरु बृहस्पति गैस केतु के वायरस के पनपे के अवसर देहनीं जेके फलस्वरूप ई महामारी फैल गईल। आपन देश, आपन धर्म अउरी आपन संस्कृति से इतर अन्य देश, अन्य धर्म अउरी अन्य संस्कृति के कारक राहु होला। राहु में अनंतता अउरी सीमाहीनता के गुण होला। राहू विस्तार के भी कारक होला अउरी डीएनए के संरचना के भी कारक राहु होला। मनुष्य के रीढ़ के सर्पाकार आकृति भी राहु होला। राहु एह वायरस के विस्तार दे देले बा। अब 29 जून, 2020 के गुरु बृहस्पति वक्री होकर फेरु धनु-राशि मे लौटेम जहाँ केतु से युति के दौरान ई वायरस पनपल रहे। लेकिन एह बार गुरु बृहस्पति बलवान बानी अउरी केतु दूर जा चुकल बा। केतु पीछे जवन धूल छोड़ले बा – बलवान गुरु बृहस्पति के प्रबल गैस ओके समेट ली अजरी एह वायरस के अन्त के संभावना बनी।
हम एह बात के अइसे भी कह सकs तानीं कि – 29 जून, 2020 से लेके 13 सितंबर, 2020 के दौरान जब तक गुरु बृहस्पति वक्री रहेम एह कोरोना वायरस के इलाज मिल जाए के संभावना होई।
कोरोना वायरस के भारत मे फैले के संभावना बहुत कम बा काहे से कि भारतीय लोग के शारीरिक ढाँचा शनि के प्रभाव से बनल बा। शनि – शरीर के बाहरी सुरक्षा के काम करेला अउरी शनि के प्रभाव के कारण भारतीय लोग के बाहरी सुरक्षा कवच मज़बूत होला। कोरोना वायरस ऊ लोग में ज्यादा तेजी से फैली जे गोर बा, ठन्डा वातावरण में रहेला अउरी शनि के शत्रु ग्रह के प्रभाव से बनल बा।
जइसे यूरोपियन लोग शनि के शत्रु मंगल के प्रभाव से बनल बा। एकर रक्त से संबंध बा – सुरक्षा से ना। चीनी, जापानी, वियतनामी अउरी कोरियन लोग गुरु बृहस्पति के प्रभाव से बनल बा। एकर मेद से सम्बंध बा-सुरक्षा से नइखे।
एही से राउर सुरक्षा रउआ ग्रह जनित आंतरिक कारण से ज्यादा प्रभावित होला,अपेक्षा बाह्य रूप से।
यद्यपि गुरु ग्रह स्वच्छता अउरी प्राणायाम से बलवान होला एही से ई लाभकारी बा।

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