लोकरंग के सौन्दर्य शास्त्री पंडित गणेश चौबे
पंडित गणेश चौबे यानी अपन भाषा-संस्कृति के धरोहर के जोगावे वाला ऊ असाधारण कलमकार जिनके ‘लोकरंग के सौन्दर्य शास्त्री’ कहल जाला. अपना सम्पूर्ण जीवन अउरी कृतित्व से पंडितजी के समाज में एगो ख़ास अउरी आदर के स्थान मिलल बा.
डॉक्टर ब्रजभूष्ण मिश्र पंडित जी के बारे के कहs तानीं कि ‘पंडितजी के भोजपुरी भाषा के वैज्ञानिक पूर्ण अध्ययन, लोक आ शिष्ट साहित्य के सम्यक अध्ययन, व्यापक आ अघतन परिचय अउर खोजपूर्ण लेखन असाधारण बना देले बा. पंडित जी के जीवन आ कृतित्व जनला के बाद उहाँ के असाधारण भइला के परिचय मिल जाई.’
पंडित जी के जन्म ५ दिसम्बर १९१२ के अपना ममहर के गाँव डम्मर, जिला मुजफ्फरपुर में भइल रहे जबकि उहाँ के पैतृक स्थान चम्पारण जिला के पिपरा थाना के बंगरी गाँव ह. पूत के पाँव पालने में ही दिखे लागल. स्कूली परीक्षा में लगातार पहिला स्थान पर आवे वाला पंडितजी जब नउआ किलास में रहनीं तबे लोकगीत के संग्रह शुरू कइलीं. पंडितजी लगभग सात हज़ार पृष्ठन में लोकगीत, लोककथा, बुझउअल, कहाउत, रसम-रिवाज, लोक-विश्वास आ जातिप्रथा आदि विषय पर सामग्री के संग्रह कइनीं. एतने ना, बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के ‘चौबे संग्रहालय’ में इहाँ के तकरीबन सात सौ पान्डुलिपियन के संग्रह बा. पंडितजी के लगे भोजपुरी भाषा-साहित्य-संस्कृति-लोकसाहित्य के शोध, ग्रन्थ अउरी पत्र-पत्रिका आदि के विशाल संग्रह रहे.
पंडितजी के लिखल लेख हिंदी, अंग्रेजी अउरी भोजपुरी के विभिन्न पत्र-पत्रिका के अलावा आकाशवाणी के पटना केंद्र से प्रसारित हो चुकल रहे. इहाँ के लिखल तीन गो किताब छप चुकल बाटे. १९७६ में प्रकाशित किताब “भोजपुरी के प्रकाशित ग्रन्थ”, १९७७ में छपल आठ निबंधन के संग्रह ‘भोजपुरी- कुछ समस्या आ समाधान’ अउरी तिसरका ग्रन्थ बाटे भोजपुरी अकादमी द्वारा १९८२ में प्रकाशित ‘भोजपुरी प्रकाशन के सई बरस’. ई किताब शोधार्थी लोग खातिर बहुत उपयोगी बा. पंडितजी कई सम्मानित सरकारी, गैर-सरकारी संस्था के सदस्य रह चुकल बानीं अउरी विभिन्न साहित्यिक सम्मेलनन में खूब सक्रिय भूमिका निभवले बानीं. पंडितजी के भाषा- साहित्य अउरी लोक-साहित्य में सेवा खातिर विभिन गैर सरकारी अउरी स्वयंसेवी संस्था द्वारा सम्मानित कईल गइल बा.
पंडितजी जीवनपर्यंत लेखन में आपन योगदान देनीं. चाहे उ बड़ रचनाकार हो या छोट, पंडितजी सबके प्रोत्साहित कइनीं. पंडितजी हरमेसा कहनीं कि भोजपुरी में नया लोग के आवे के चाहीं काहेकि भविष्य के बोझा एही लोग के कंधा पर बा. कवनो प्रकार के घमंड से दूर पंडितजी के विनम्रता से केहू भी प्रभावित हो जात रहे.
पंडितजी के जन्मदिवस पर उहाँ के इयाद करत हर भोजपुरिया के तरफ से उहाँ के सादर नमन बा. निःसंदेह अइसनके विभूति लोग के वजह से आज भोजपुरी के मजबूत इमारत पूरा बुलंदी से खडा बा.