गंगा के किनारे अर्धचंद्राकार घाट प झिलमिलात असंख्य दिया, आकर्षक आतिशबाजी, घंटा-शंख के गूंज अउर आस्था-विश्वास से लबरेज देव-दीपावली काशी के सबसे खास दीपावली ह।
ऋतुअन में श्रेष्ठ शरद ऋतु, मासन में श्रेष्ठ कार्तिक मास, अउर तिथियन में श्रेष्ठ पूर्णमासी के शंकर के नगरी काशी के गंगा घाट पर दीपक कुछ अइसन सजेला जइसे माना गंगा के राही देवन के टोली आ रहल बा.. अउर उनके स्वागत खातीर 84 घाटन पर दिया जगमगा रहल बा।
मान्यता बा कि एह तिथि के भगवान भोलेनाथ त्रिपुर नाव के दैत्य के वध कइले रहल अउर आपन हाथ से बसावल काशी के अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार के नष्ट कइले रहल। राक्षस के मरला के बाद देवता लोग स्वर्ग से लेके काशी तक दिया जलाके खुशी मनवले रहन… तबे से काशी घाट पर दिप जलाके इ पर्व के देव-दीपावली के रूप में मनावल जाला।
इ परंपरा के आज भी निभावल जाला। कह जाला कि एह माह में स्नान, दान, होम, योग, उपासना आदि कइला से अनंत फल मिलेला।