दिल्ली के गगनचुंबी इमारतन के बीच अगर बात माटी के हो,संस्कार के हो त ई लोक के ताकत ह। मौका रहल मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भव्य कार्यक्रम ‘पूर्वांचल सांस्कृतिक मेला’ के दूसरका दिन के।
खचाखच भरल सीपी के सेंट्रल पार्क के मंच से कार्यक्रम के शुरुआत सोलह संस्कार में गाए वाला गीतन से भईल। दरअसल जन्म से मृत्यु तक के अवसर पर अनेक संस्कार होला अउरी हर संस्कार पर समयानुकूल गीत गावल जाला। अजीत झा संस्कार गीतन के बहुत सुंदर प्रस्तुति कइलन। एकरा बाद भोजपुरी गायक बच्चू शुक्ला देवी गीतन से सुरुआत कइला के बाद एक से एक भोजपुरी गीत पेश कर के कार्यक्रम में चार चांद लगा देहलन।
का ह असली भोजपुरी लोकगीत। शैलेन्द्र मिश्र आपन गीतन के माध्यम से समझावे के प्रयास कइलन अउरी भोलानाथ गहमरी के लिखल कटनी गीत गोरी झुकी-झुकी काटेली धान सहित अउरी भोजपुरी गीतन के सुंदर प्रस्तुति कइलन।
एकरा बाद मंच पर भोजपुरी-भाषा के लोक गौरव आ भोजपुरी गायकी के शिखर पुरुष कहाए वाला भरत शर्मा व्यास आपन प्रस्तुति दिहनीं। इहां के भोजपुरी निर्गुन बिधा से लेके अउरी बिबिध किसिम के गीत गवनीं। दर्शक लोग के वन्स मोरे वन्स मोर के शोर पर एक से बढ़के एक भोजपुरी गीतन के प्रस्तुति भईल। भरत शर्मा जी के बाद रंजना झा जी मैथिली गीतन से माहौल में अद्भुत रस घोर देहली। राम-सीता के विवाह -गीत से ले के मिथिला के विविध गीतन के प्रस्तुति से रंजना जी दर्शक लोग के खूब ताली बटोरली.