बालू के जादूगर, जेकरा इशारा पर बालू में आ जाएला जान

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रेत केहू के मुठ्ठी में ना समाला…बाकी इ कहावत के गलत साबित करके इ रेत से आपन अनोखा पहचान बनावे वाला पुष्कर के सैंड आर्टिस्ट अजय रावत, रेत के आपन मुठ्ठी में क लेले बाड़न। अजय आपन कला के प्रदर्शन खातीर मुठ्ठी से रेत बिखेरतारन अउर उनकर सैंड आर्ट से लोग हक्का-बक्का रह जा तारन।

अजय अब इ रेत के कला के आपन शहर राजस्थान में बिखेरला के बाद देश के कोना-कोना में आपन इ कारनामा देखा रहल बाड़न।

अजय के सैंड आर्टिस्ट बने के शुरुआत आठ साल पहिले भईल रहे। उ मंदिर से घरे आवत समय रास्ते में पुष्कर के रेत से खेले लगलें, तबे अचानक एगो चेहरा बन गइल। इ चेहरा अइसन बनल रहे कि अखबार में भी “बच्चे ने रेत पर उकेरी आकृति” टाइटिल से छपल रहे। इ घटना अजय के अइसन प्रेरित कइलस कि उ रोज तीन से चार घंटा रेत से आकृति बनावे के अभ्यास करे लगलें…अउर आज उनकर लगन अउर मेहनत से उ राजस्थान के इकलौता सैंड आर्टिस्ट बन गइल बाड़न।

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पुष्कर के पास एगो छोट गांव गनाहेड़ा के रहे वाला अजय रावत आज राजस्थान अउर पुष्कर के नाम अन्य देशों में भी रौशन कर रहल बाडन।

फिलहाल अजय ओडिशा टूरिज्म के ओर से उहां चल रहल पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्ट फेस्टिवल में शामिल भइल बाड़न। जहवां पहिला दिन समुद्र के बचावे के थीम पर आर्ट बनइलन त दुसरा दिन बुद्धिज्म हैरिटेज अउर विश्व विकलांग दिवस प आपन कला के प्रदर्शन कइलन। एकरा से  पहीले उ गुजरात में भी आपन कला के दिखा चुकल बाड़न।

अजय के  कहनाम बा कि राजस्थान में इ कला के बढ़ावा देवे खातीर कवनों प्रयास नईखे होखत। पुष्कर में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेला आयोजित होला, बाकी  प्रशासन से लेके सरकार तक..केहू एह में सहयोग ना करेला।

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