घर से निकालल सांवर पतोह अब सुनाई फैसला

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लड़की अउरी लड़का बराबर होला ई बात तs बहुत लोग कहेला लेकिन मानेला ना। तबे तs आज भी लडकी के आकलन ओकर गुण के आधार पर ना कर के रंग-रूप के आधार पर होला। लेकिन कीचड़ में ही कमल खिलेला। आपन प्रतिभा के बल पर कई बार नारी ई साबित कइले बिया कि ऊ कोमल बाड़ी कमज़ोर नाहीं। पटना के छज्जूबाग के रहे वाला वंदना मधुकर एह साल ज्यूडिशियरी के परीक्षा पास कईले बाड़ी। ई उहे वंदना हई जेके सांवला रंग आउर बेटी जनला पर घर से निकाल देहल गईल रहे।

पटना के वंदना एकर जीता-जागता उदाहरण बाड़ी। जवन बहू के ससुरालवाला ओकरा सांवला रंग के लेके ताने मारे, बुरा भला कहे, आउर बेटी जनले पर घर से निकाल देले रहे, उहे बहू राज्य ज्यूडिशियरी के परीक्षा पास कर के आज जज बन गईल। ससुराल से निकलला के बाद संघर्ष आउर मजबूत हौसला से उड़ान भरे वाली पटना के छज्जूबाग के 34 वर्षीय वंदना मधुकर आज उदाहरण बन गइल बाड़ी। इतने ना, माता-पिता के साथ पूरा मोहल्ला के अब चहेती बन गईल बाड़ी। ऊ नौकरी करते बेटी के पलली आउर आपन पढ़ाई जारी रखली।

मोकामा में नियोजित शिक्षक रहली

वंदना के मायका मोकामा के राम शरण टोला में ह। शादी 2015 में पटना में भईल। जब शादी भईल त उ मोकामा में नियोजित शिक्षक रहली। शादी के बाद पटना आकाशवाणी में ट्रांसमिशन एक्जक्यूटिव पद संभलली। एकरा बाद से घर में कलह बढ़ गईल।

वंदना
वंदना

बेटी होखला के बाद छोड़े के पड़ल घर

वंदना के शादी के एक साल बाद मई, 2016 में बेटी के जन्म भईल। एकरा बाद ससुराल वाला उनका सांवला रंग के साथे लड़की के जन्म होखे पर ताना मारल शुरू कर देहल। साथे-साथ ईहो कहे लागल कि अगिला बार गर्भवती होखे पर चेकअप करावे के होई आउर फिर लड़की भईल त गर्भपात। एह प्रताडऩा से तंग आके वंदना 20 दिन के बेटी को लेके मायका मोकामा चल गईली।

घर परिवार के मिलल सहयोग

वंदना एह सब मानसिक परेशानी के दौर से गुजरत रहली, तबे बाढ़ कोर्ट के अधिवक्ता मधुसूदन शर्मा उनकरा के जज के परीक्षा खातीर प्रेरित कईलन। उ तैयारी कईली आउर 29 नवंबर के बिहार के न्यायिक परीक्षा पास कर लेहली। वंदना आपन उपलब्धि के श्रेय पिता किशोरी प्रसाद आउर माता उमा प्रसाद के साथ मधुसूदन शर्मा के दे ताड़ी।

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