655 मिथिला पेंटिग कलाकारों की प्रतियोगिता

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दो दिवसीय लिखिया प्रतियोगिता सह ग्रियर्सन सम्मान का हुआ समापन। मधुबनी 655 मिथिला पेंटिंग कलाकारों ने स्थानीय टाउन क्लब फील्ड में रंगों से खेला।

रंग, ब्रश और कल्पनाओं के अद्भुत समागम का गवाह बना मधुबनी। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, पुर्णिया, बेगुसराय जिलों से विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री पुरुष कलाकारों ने इस प्रतियोगिता में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। ऊंच-नीच, गरीब-अमीर, लिंग-भेद तथा जातीय सीमा से परे क्राफ्टवाला और राज्य विकास फाउंडेशन की टीम द्वारा मधुबनी में मिथिला पेंटिंग कलाकारों का यह विशाल समागम करवाया गया था। आयोजक क्राफ्टवाला एवं राज्य विकास फॉउंडेशन के बैनर तले होने वाले इस आयोजन के दूसरे दिन श्रेष्ठ दो प्रतियोगी को 50,000 रुपये का चानो देवी सम्मान पुरस्कार एवं 35000 रुपये का रौदी पासवान सम्मान पुरस्कार दिया गया।

निर्णायक मंडल द्वारा चयनित प्रथम पुरस्कार विभा कुमारी, मधुबनी और रामा देवी सतघारा का चयन किया गया। निर्णायक मंडल में वरिष्ठ कलाकार रानी झा, कल्पना सिंह, अरुण कुमार लाल, दुलारी देवी थी। इस अवसर पर राकेश झा ने बताया कि क्षेत्र के कलाकारों के बीच नई प्रतिभा को खोजना ही इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था।

मिथिला पेंटिग प्रतियोगिता
मिथिला पेंटिग प्रतियोगिता

उन्होंने कहा कि मिथिला चित्रकला का बाजार कैसे बढ़े कैसे कलाकारों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाया जा सके इसके लिए हमलोग ऐसा आयोजन करते रहेंगे । राज्य विकास फॉउंडेशन के अध्यक्ष रतन कुमार झा ने कहा कि हमलोग उत्साहित हैं जिस तरह कलाकारों ने इस आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया इसे देख इससे भी बड़ा आयोजन करने की योजना बना रहे हैं। कलाकारों एवं स्थानीय नागरिकों का भरपूर सहयोग हमे प्राप्त हुआ है।

पुरस्कार की घोषणा पश्चात ग्रियर्सन सम्मान का आयोजन किया गया। जिसमें रजनीकांत पाठक (मैथिली फ़िल्म प्रोड्यूसर), प्रफ्फुल चंद्र झा (समाजसेवी) पुष्यमित्र (पत्रकार), विष्णुकांत पाठक (फ़िल्म निर्देशक), सचिन (युवा उद्यमी), नीरज पाठकसमाजसेवी व्यक्तियों को ग्रियर्सन सम्मान से सम्मानित किया गया । तद्पश्चात लोक राग के तहत अभिषेक मिश्रा, रश्मि प्रिया झा, अनामिका झा, रामकृष्ण आदि ने लोक संगीत की प्रस्तुति दी । इस आयोजन को सफल बनाने में सुमन सिंह, षष्ठीनाथ झा, अजित आजाद, सोनू निशांन्त, रानी झा, कल्पना सिंह, मुकुंद झा, मुकुंद माधव, विजय घनश्याम, विकास सिंह, गणेश जी आदि का सहयोग रहा ।

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