बेटी हमारी खेलन को जाए, बेटी के हमनीं गोदी खेलाएं…बेटीयन के संदेस, बेटीयन के नाम

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भारत एगो सम्पूर्ण देश बा लकिन आज भी ईहा बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, देहज खातिर बेटियन के मारल, बेटियन के आगे पढाई ना करे देहल इ सब मामला तूल में बा. भारत के कुछ राज्य जइसे केरला जवन सबसे अधिक साक्षरता वाला राज्य ह फेरों इ मामला में आगे बा। बिहार में लगभग 68 प्रतिशत बल विवाह आ वही जा हिमाचल में सबसे कम 6 प्रतिशत बल विवाह होला।

कम उम्र में बच्ची के शादी कर के घर वाला अपन बोझ हल्का कर लेले इ समझेले। कन्या भ्रूण हत्या, लड़कन के हमेशा ऊपर समज के आ लईकी से ओकर अधिकार छीन लियाला आ गर्भ में ही वोकर हत्या कर दिहल जाला। लईकीन के पढ़े न भेजल जाला, हर काम में लईकी के लइका से काम आकल जाला।

सरकार द्वारा बच्चीयन खातिर कई गो अभियान चलल जैसे बेटी बचाओं , बेटी पढ़ाओ आदि।  आज लईकी घर से लेकर बाहर तक हर क्षेत्र में लइका लोग के टक्कर देत बाड़ी। आज बेटी बेटा से ज्यादा नाम करात बड़ी सन।  छोट घर आ अइसन माहौल से निकल मदर टेरिसा, इंद्रा गाँधी, कल्पना चावला,  किरण बेदी, अंजलि गुप्ता सानिया मिर्जा, मर्री कॉम जइसन कई नाम बा जवन हर लड़ाई लड़ के कुछ कर दिखा देली।  आज सब पर भारत के नाज बा।

ता अब लईकी के बोझ न अपन लक्ष्मीं समझी।एगो वेडियों के माधयम से लईकी का कहतारी देखि। बच्ची का कहत बाड़ी

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