विस्मृत बिहारी व्यंजन- दुधपुआ/ ढकनेसर

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कोरोना के कहर के चलते सबे घर मे बइठल बा। रसोई में नया नया प्रयोग भी हो रहल बा। केहू कुकर में केक बना रहल बा त केहू समोसा त कबो चाशनी से जलेबी निकाल रहल बा। लेकिन आज प्रचलित खानपान से अलग एगो अइसन व्यंजन गहना लाइव ले आईल बा जे अब गांव में भी कम ही बनेला।

**—- दूध पुआ —-**

बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के रसोई घर से विलुप्त हो रहल मीठ व्यंजन के एगो अद्भुत स्वाद ह दूध पुआ।
रात भर भिगो के रखल चावल के पीस के घोल बनाईं अउरी ओमे कुछ बारीक कटल सूखा मेवा डाल दीं। गरम मिट्टी के तवा पर कलछुल भर के ई घोल डालीं अउरी तबतक पकाई जबतक ओमे ढेर सारा बुलबुला बनकर फूटत आपन निशान ना छोड़ दे अउरी ऊ निशानन
में भर जाए मिट्टी के सोन्ह ख़ुशबू अउरी स्वाद । एक एक कर के पुआ निकालत जाईं। ध्यान देवे के पड़ी कि एमे कवनो घी-तेल के इस्तेमाल ना होला। अगर रउआ लगे माटी के तवा नइखे त नॉनस्टिक तवा में भी बना सकेनीं। अब पिसल इलाइची अउरी चीनी डालके दूध गाढा कर लीं। ओमे ई सोन्ह सफ़ेद पुआ के डुबो दीं।
अगर रउआ माटी ले हंडिया में पुआ अउरी दूध के मिश्रण के रखेम त अउरी अद्भुत स्वाद आई। रात भर खातिर छोड़ दीं। तबतक पुआ आपन अकड़ छोड़ नरम हो जाई। सवेरे तक इलाइची के स्वाद पुआ में अउरी मिट्टी के सोंधापन दूध में आ जाई। रुई खानीं हलुक हो चुकल ई दुधपुआ के आगे कालाजामुन चाहे रसगुल्ला फेल बा।

एह मीठ अउरी सोन्ह व्यंजन में गाँव के मिट्टी के ख़ुशबू अउरी स्वाद के साथ केहू के दादीमाँ त केहू के माँ के याद भी त बा…. काहे से कि पहिला बार ओही लोग के हाथ के बनल खइले होखेम नू?
प्रस्तुत व्यंजन की तस्वीर और विधि बिहार की समाजसेवी रंजीता रंजन और ऋतु रंभा ने भेजा है।

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